प्यार व्यार सब बेकार है
एक राह दो मुसाफ़िर, दोनों की मजिंल प्यार है।
बस एक मतलब टाइम पास तो दूजा व्यापार है।
सब के मुहब्बत में अपने अपने मायने है यहाँ,
किसी को जिन्दगी लगती तो किसी का शिकार है।
सारे युवा मुहब्बत में बादशाह बननें लगे है।
सब को लगता है बस इन्हीं की सरकार है।
चेहरो को रूप बदलने की आदत हो गई है।
हकीकत से धुलने पर लगते सब बंगार है।
कुछ दिनों में होश ठिकाने आ जाते है सबके,
फिर कहते फिरते है प्यार-व्यार सब बेकार है।
कुमार आनन्द